Tuesday 1 September 2015

सोचा न था

ये वक्त भी धुंधली सी परछाई बनायेगा
सोचा न था
खुद तो होकर भी नही है,
मुझे भी गुमनाम कर जायेगा
सोचा न था
अभी-अभी तो चलना सीखा था मैंने
अभी-अभी तो मुस्कुराया था
एक पल मे इतना रुलायेगा
सोचा न था
ये वक्त भी धुंधली सी परछाई बनायेगा
सोचा न था
माँ-बाप, नाना-नानी, दादा-दादी
मामा-मामी, चाचा-चाची ये तो थे ही नहीं मेरे
खुद से भी दूर कर जायेगा
सोचा न था
मासूम न सही, पर नसमझ था मैं उस वक्त
पर जब समझ आयेगी, तब भी
नहीं कोई अपनायेगा
सोचा न था
ये वक्त भी धुंधली सी परछाई बनायेगा....