Saturday 6 April 2019

मेरा भी किस्सा है...

माना कि तुम दूर हो,
पर तुम से मेरी यह आस है,
जो मोहब्बत है तुम्हें,
फिर क्यों असहजता का ये एहसास है?
माना कि मैं पास नहीं
जानता हूं, मैं सबसे खास नहीं
अपने और भी तुम्हारे जिनसे तुम्हें प्यार है
फिक्र भी और जिक्र भी जिनका बेशुमार है
दिन दिवाली और रात होली,
मनाती जिनके संग तु हरेक त्योहार है
माना कि तेरी जिंदगी का वो एक अभिन्न हिस्सा है
पूरी किताब ना सही, पर चार पन्नों का तो
मेरा भी किस्सा है......

तू दूर, थोड़ी पास
तू दूर, थोड़ी पास
मुझे हर एक बात का एहसास
समझ ले कि मैं हूं नहीं निराश......