Thursday 19 January 2017

व्यापार या दुराचार ?

पहले खिला चीनी किया हमे बिमार
अब सुगर फ्री के नाम पर कर रहे हो व्यापार
भाई को भाई से लड़ा रहे हो
ताकि बेच सको तुम हथियार
कभी गायों के नाम पर लड़ाया
तो कभी राम मंदिर बनवाया
देवालय बना नहीं, पर हाँ
जो मस्जिद थी सामने, उसे तुमने ही मिटाया
बन दूत शांति के दिखाया दुनिया को तुमने अशांति का समाचार
धरती मेरी, नाम तुम्हारा
कैसा है से अत्याचार?
जो बहती थी एक नदी, उसे दूषित करवा दिया
पवित्रता मिट गई गंगा की,उसे तो तुमने गैंगेज बना दिया
कुछ तुम रूपी हम भी है यहाँ
चंद रुपयों के वास्ते ईख मे सल्फर मिला दिया
गुड़ की मिठास ही भूल गए
हमने तो शक्कर है अपना लिया
न सोचा, न समझा
बस तुम्हे सीने से लगा लिया
जो था मेरा उसे ठुकरा दिया,
खुद को गुलाम बना लिया..........

Wednesday 4 January 2017

मिलन

ये विचारो का मिलन
ये मेरी भावनाओँ का भवन
विकसित रहे, पुलकित रहे
मेरी खुशियोँ का ये चमन
थोडे काबिल हम भी
जरा गौर तो करो
अब तक कहाँ हो तुम मगन?
ये विचारो का मिलन. . . .
इन्हेँ 'कुछ भी' न कहो तुम
ये एक मुकम्मल जहां है
कही रूठ न जाए ये पवन
आधी उम्मीद हममेँ है
कुछ तुम जगा दो
कहीँ हो न जाए फिर ये दफन
ये विचारो का मिलन. . .