Tuesday 16 December 2014

आरजू

एहसास-ए-मोहब्बत
मैं कराने आया हूँ
दिलों को दिलों से
मैं मिलाने आया हूँ
आरजू हो तुम मेरी
यह पैगाम मैं लाया हूँ
चाहत नहीं तुम मर-मिटो मुझपें
खुद को मैं लुटाने आया हूँ
तुम्हारी साँसों मे समाने आया हूँ
दिल मे तुम्हें बसाने, मैं आया हूँ
हक तो मेरा भी है
पर हक न मैं जताने आया हूँ
आज नहीं तो कल सही
जब चाहो तब आना
मैं तो बस तुम्हारा हूँ तुम्हारा
यह बताने आया हूँ
जीने की चाह है
पर तुम बिन कुछ भी नहीं
तुम संग जहां अपनी मैं बसाने आया हूँ.......

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