Thursday 12 March 2015

कब कभी?

कब कभी आरजू पूरी होगी
न जाने
कब कम ये दूरी होगी
मोहब्बत एक इबादत है मुझमें
खुदा है तु मेरा,
तुझ बिन जिंदगी अधूरी होगी....
जाने कब कभी
यूं राह में आँखें लड़ेंगी
अपने दर्द को खामोशी संग तुझसे कहेंगी
फिर न जाने क्यों
ये आँखें बहेंगी,
ये जिंदगी मेरी तुझ संग सारे दर्द सहेगी
अधूरे ख्वाब, अधूरा मैं
भला क्यों, तु मुझसे मोहब्बत करेगी....?

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