हर तरफ है एक शोर
"लुटा जिसने बना वही दाता"
आखिर था वो कैसा चोर?
झूठ की ऐसी अकड़,
कमजोर पड़ी, सच्चाई की पकड़
फिर भी, भूल सबकुछ
लगा रहा हूँ मैं जोर,
चल पड़ा हूँ तेरी ओर,
न फिक्र अपनों की
न करी किसी ने जिक्र उन सपनों की,
आखिर अब भी, काली क्यों है हरेक भोर?
ऐसी तबाही, ऐसा कपट
खौफ ही खौफ था, स्नेह रहा था बस आंचल में सिमट
बारिश भी हुई पर लहु की, पखविहीन है सारे मोर।
हर तरफ है बस एक शोर
"आखिर था वो कैसा चोर?" .........
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